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होलिका दहन और होली 12-03-2022
होलिका दहन और होली
होलिका दहन हिंदुओं का एक महत्वपूर्ण पर्व है। फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि की रात को “होलिका” का सांकेतिक रूप से दहन किया जाता है। होलिका दहन बुराई पर अच्छाई की जीत के पर्व के रूप में मनाया जाता है।
होलिका दहन कब है ?
17 मार्च 2022, बृहस्पतिवार को फाल्गुन शुक्लपक्ष चतुर्दशी तिथि ही है। लेकिन दोपहर 1 बजकर 01 मिनट के बाद पूर्णिमा तिथि शुरू हो जा रही है और अगले दिन 18 मार्च शुक्रवार को पूर्णिमा तिथि का ही उदय हो रहा है और यह पूर्णिमा तिथि दोपहर के 12 बजकर 58 मिनट तक रहती है। अर्थात फाल्गुन पूर्णिमा 18 मार्च दिन शुक्रवार को ही है। बावजूद होलिका दहन पर्व 18 मार्च, शुक्रवार को नहीं मनाकर एक दिन पूर्व ही अर्थात 17 मार्च, बृहस्पतिवार की रात को ही भद्रा बीतने के बाद मनाया जाएगा। कारण – जब उदया तिथि में फाल्गुन पूर्णिमा संध्या के पहले ही समाप्त हो जाती है तब “होलिका दहन” पूर्व दिन फाल्गुन शुक्ल चतुर्दशी तिथि को ( जिसमें प्रदोषकाल में पूर्णिमा लग जा रहा हो ) रात्रि में भद्रा के बीत जाने के बाद करना चाहिए।
अतः 17 मार्च , बृहस्पतिवार की रात 12 बजकर 57 मिनट पर भद्रा के बीतने के बाद होलिका-दहन होगा।
एक कारण और भी है कि होलिका-दहन दिन के समय वर्जित है।
“ निर्णय – सिन्धु कहता है -- दिन के आधे-भाग के बाद भी यदि फाल्गुन मास की पूर्णिमा हो तो रात में भद्रा की समाप्ति पर होलिका को प्रदीप्त करें। “
18 मार्च शुक्रवार को होलिका-दहन क्यों नहीं ? -- क्योंकि शुक्रवार को फाल्गुन पूर्णिमा तिथि दिन के 12 बजकर 58 मिनट तक ही रहती है। अगर यही बढ़कर संध्या में प्रदोषकाल तक भी होती तब होलिका दहन 18 मार्च शुक्रवार की रात को ही होता। एक बात ध्यान में रखना है कि 18 मार्च शुक्रवार को दिन भर फाल्गुन पूर्णिमा तिथि ही मान्य होगी।
होली कब ? -- “निर्णय सिन्धु” नामक धर्म ग्रंथ कहता है – चैत्रकृष्ण प्रतिपदि वसंतोतव:। सा चौदयिकी ग्राह्या ।। अर्थात चैत्र कृष्ण प्रतिपदा को ‘ वसंतोत्सव ‘ होता है और वह उदयकाल में ग्रहण करें। अर्थात जिस तिथि में फाल्गुन पूर्णिमा का उदय हो रहा है उस दिन वसंतोत्सव ( होली ) नहीं मनाना चाहिए।
चैत्र कृष्ण प्रतिपदा तिथि का उदय 19 मार्च दिन शनिवार को हो रहा है। अतः उदय-काल में 19 मार्च शनिवार के दिन ही वसंतोत्सव अर्थात होली है।