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SARS CORONAVIRUS & ASTROLOGY
सार्स कोरोनावायरस एक विषाणु है। यह श्वसनतंत्र को प्रभावित करता है। " सार्स " कोरोनावायरस द्वारा जनित श्वसन से संबंधित रोग है। नवंबर 2002 से लेकर शुरुआती 2003 के बीच दक्षिणी चीन में सार्स रोग का प्रकोप आरम्भ हुआ। 2003 के पूर्वार्द्ध में कुछ ही सप्ताह में सार्स विभिन्न देशों के व्यक्तियों में फैल गया। कोरोना वायरस के लक्षण निमोनिया - खांसी - जुकाम इत्यादि दिखाई देते हैं।
कोरोना वायरस - 19 :
------------------------ COVID - 19 एक प्रकार का संक्रामक रोग है जो " 2019 नोवेल कोरोना वायरस " ( SARS - COV - 2 ) के कारण होता है। COVID -19 का पहला संक्रमित व्यक्ति 17 नवंबर 2019 को चीन के वुहान शहर में मिला। हालांकि तब तक यह पूरी दुनिया में फैल चुका था। इसके सामान्य लक्षणों में बुखार - खांसी - सांस लेने में तकलीफ होना शामिल है। अधिकतर मामलों में हल्के लक्षण ही होते हैं। सिर्फ कुछ मामलों में यह बढ़कर ' निमोनिया ' या कई अंगों के विफल होने तक भी पहुंच जाते हैं।
राहु ग्रह और कोरोना वायरस
---------------------------------- : राहु ग्रह " राजयक्ष्मा " रोग का कारक है। राजयक्ष्मा अर्थात एक ऐसा असाध्य रोग , जिसमें रोगी का फेफड़ा सड़ जाता है और सारा शरीर धीरे - धीरे कमजोर हो जाता है।
जिन दिनों नवंबर 2002 में सर्वप्रथम SARS रोग का प्रकोप प्रारम्भ हुआ उन दिनों 03 नवंबर 2002 को राहु ग्रह का गोचर वृषभ ( Taurus ) राशि के 15 अंश - शून्य कला - शून्य विकला पर था।
जिन दिनों कोरोना वायरस - 19 रोग का सर्वप्रथम संक्रमण नवंबर 2019 में चीन के वुहान शहर से शुरुआत हुआ उन दिनों भी राहु ग्रह का गोचर मिथुन राशि के 15 अंश - शून्य कला - शून्य विकला पर था। फर्क सिर्फ इतना है कि सन 2002 में यह वृषभ राशि के गोचर में थे और 2019 में मिथुन राशि के गोचर में।
" वृष राशि " टॉन्सिल , डिप्थीरिया, गले के सभी रोग , कफ एवम कब्ज, पांडु रोग , पेट संबंधी रोग, आलस्यपन इत्यादि का कारक है।
" मिथुन राशि " श्वास एवम गले के रोग , फेफडों का संक्रमण , राजयक्ष्मा रोग अर्थात एक ऐसा असाध्य रोग जिसमें रोगी का फेफड़ा सड़ जाता है और सारा शरीर धीरे - धीरे कमजोर हो जाता है , इत्यादि रोगों का कारक है।
** नवंबर 2019 में चीन के वुहान शहर से COVID -19 नामक जिस बीमारी की शुरुआत हुई उस बीमारी में रोगी का फेफड़ा ही संक्रमित हो जाता है और सड़ जाता है। सारा शरीर धीरे - धीरे रोगग्रस्त हो जाता है । न जाने कितनों को जान गंवानी पड़ी और पड़ रही है। हालांकि जिनका संक्रमण कम रहता है वह धीरे - धीरे पूर्ण स्वस्थ भी हो जाते हैं।
लग्न कुंडली और महामारी चक्र का अंश ( DEGREE )
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" नरपति जयचर्या " नामक ज्योतिष - ग्रंथ के पृष्ठ 228 पर महामारी कुण्डली और उसके "लग्न - अंश, कला, विकला" के बारे में एक लग्न कुंडली बनाकर दिखलाया गया है। किस देश ( country ) का कौन से लग्न की कुंडली बनती है , उसी अनुसार उसके लग्न - अंश ( ascendant degree ) का भी जिक्र है।
महामारी के कारक ग्रह उस देश में अपनी चाल के उसी अंश ( degree ) तक अपना कुप्रभाव बनाये रखते हैं।
हमारे देश भारत में COVID -19 का प्रभाव कब तक
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हमारे देश स्वतंत्र भारत की कुंडली वृषभ ( Taurus ) लग्न की है। मेरी समझ से इस COVID -19 नामक महामारी के कारक ग्रह राहु हैं। " नरपति जयचर्या " नामक ग्रंथ में लिखा है कि जिस देश की कुंडली वृषभ (Taurus) लग्न की बनती है उस देश में महामारी का प्रकोप जब तक कि कारक ग्रह ( यहां राहु ग्रह ) , जिस दिन से महामारी शुरू हुई है उस दिन से लेकर अपनी चाल 30 अंश ( thirty degree ) तक पूरा कर लेते हैं, तब तक ही महामारी का विशेष प्रकोप बना रहता है।
हमारी गणना के अनुसार 27 जुलाई 2021 को राहु अपने 30 अंश की चाल को पूरा कर ले रहे हैं। अतः 28 जुलाई 2021 से इस महामारी से धीरे - धीरे जरूर राहत मिलने वाली बात होनी चाहिए।
आगे 17 मार्च 2022 को राहु वृषभ (Taurus ) राशि को छोड़कर मेष ( Aries) राशि के गोचर में आ जाएंगे। और अगले दिन 18 मार्च 2022 से इस महामारी से वर्तमान स्थिति से विशेष राहत वाली बात होगी। तब तक विशेष सावधानी बरतना ही उचित होगा।