रक्षाबन्धन 2022
रक्षाबन्धन – कब और किस दिन ?
भारतीय धर्म संस्कृति के अनुसार श्रावण मास की पौर्णमासी के दिन रक्षाबन्धन का पर्व मनाया जाता है। यह हेमाद्रि ने भविष्यपुराण से लेकर लिखा है। युधिष्ठिर ने पूछा कि हे केशव ! मुझे रक्षाविधान बताइये, जिसके करने से मनुष्य भूत, प्रेत और पिशाचों से निडर हो जाता है। वह सब रोगों का नाशक और सब अशुभों को नष्ट करने वाला है, जिसे एक बार कर लेने से एक वर्ष तक रक्षा होते रहती है। श्रीकृष्ण जी बोले कि, हे पाण्डवशार्दूल ! श्रावण मास की पौर्णमासी के दिन श्रुति और स्मृतियों के विधान के अनुसार स्नान कर अपराह्न के समय, जब मंगल के शब्द का उच्चारण हो रहा हो, उस समय सब विघ्नों को शान्त करनेवाला रक्षाबन्धन करे।
रक्षाबन्धन का मंत्र – येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबल: । तेन त्वामपि बध्नामि रक्षे मा चल मा चल ।।
रक्षाबन्धन का समय (मुहूर्त) – अपराह्न के समय रक्षाबन्धन का विधान है। इस कारण इसमें पूर्णिमा अपराह्नव्यापिणी लेनी चाहिए।
पूर्णमास्यां दिनोदये – अर्थात पौर्णमासी में सूर्य के उदय होने पर – इस पक्ष में जयसिंहकल्पद्रुम नामक ग्रंथ की सहमति नहीं है क्योंकि, मुख्य कर्म रक्षाबन्धन का तो अपराह्न काल है। कर्मकाल की व्याप्ति होनी चाहिए।
अथ भद्रायां रक्षाबंधन विचार: - इदं भद्रायां न कार्यम – अर्थात इसे भद्रा में नहीं करना चाहिए।
तत्सत्वे तु रात्रावपि तदन्ते कुर्यादिति निर्णयामृते – अर्थात भद्रा के रहने पर भद्रा के अंत में रक्षाबन्धन करें – यह निर्णयामृत नामक ग्रंथ में कहा है।
धर्मसिन्धु के अनुसार भद्रारहित तीन-मुहूर्त से अधिक उदयकाल व्यापिनी पूर्णिमा के अपराह्न या प्रदोष काल में रक्षाबन्धन होता है। यदि पूर्णिमा तीन-मुहूर्त से कम हो तो पहिले दिन ही रक्षाबन्धन होता है।
अथ प्रतिपदयुक्तायां पौर्णमास्यां रक्षाबन्धन विचार: - इदं प्रतिपदयूक्तायां न कार्यम – अर्थात इसे प्रतिपदा से युक्त न करे।
इस वर्ष सन 2022 में रक्षाबन्धन का पर्व कब मनाना है ?
निर्णय – 12 अगस्त 2022, शुक्रवार के दिन पूर्णिमा का उदय तो अवश्य हो रहा है। परंतु इस दिन पूर्णिमा तीन-मुहूर्त से बहुत कम और बहुत थोड़े समय के लिए है। और दूसरी बात कि भाद्रमास प्रतिपदा तिथि की शुरुआत शुक्रवार की सुबह ही हो जा रही है और यह प्रतिपदा तिथि अगले दिन शनिवार के सूर्योदय के पहले ही समाप्त भी हो जा रही है। अर्थात इस दिन की पूर्णिमा की उदया-तिथि प्रतिपदायुक्त हो जा रही है। ब्रह्मवैवर्त पुराण प्रतिपदायुक्त पूर्णिमा में रक्षाबन्धन को नहीं करने को कहता है। ऐसा करने से घर-परिवार का नाश होता है।
अतः 12 अगस्त 2022, शुक्रवार के दिन रक्षाबन्धन पर्व नहीं मनाना चाहिए।
कब मनाना चाहिए ? - 11 अगस्त 2022, बृहस्पतिवार के दिन चतुर्दशी तिथि का उदय अवश्य हो रहा है। परंतु सुबह 9 बजकर 29 मिनट तक ही चतुर्दशी तिथि रहती है और फिर सुबह 9 बजकर 30 मिनट से पूर्णिमा तिथि लग जा रही है। अपराह्न के समय पूर्णिमा तिथि 11 अगस्त, बृहस्पतिवार के दिन ही रहती है , जिसमें कि रक्षाबन्धन का विधान है। अब क्योंकि सुबह 9 बजकर 30 मिनट से ही भद्रा भी लग जा रहा है। यह भद्रा रात्रि में 08 बजकर 01 मिनट तक रहता है (देखें ‘वेंकटेश्वर शताब्दी पञ्चाङ्ग)। भद्रा के रहते रक्षाबन्धन नहीं करना चाहिए।
*निर्णयामृत नामक ग्रंथ में कहा है – तत्सत्वे तु रात्रावपि तदन्ते कुर्यादिति – अर्थात भद्रा के रहने पर भद्रा की समाप्ति के बाद रात्रि में ही रक्षाबन्धन कर लेना चाहिए।
**अतः रात्रि में 8 बजकर 01 मिनट के बाद भद्रा की समाप्ति होते ही रक्षाबन्धन का यह पर्व मनाना चाहिए।
**अगले दिन शुक्रवार को प्रतिपदायुक्त पूर्णिमा की उदया तिथि में रक्षाबन्धन नहीं करना चाहिए। इससे घर-परिवार का नाश होता है।
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